नामस्मरण

//श्री सरस्वती देवी प्रसन्न //

 नामस्मरण 

राम कृष्ण हरि पांडुरंग हरि

 असू दे नाम सदा  वैखरी

नरदेह दुर्लभ परी त्रिविध ताप

 तारण्या कलियुगी नामस्मरण हाच सोपान 

सांगती सारे महानुभाव संत सज्जन 

नको देऊ परपीडा, नको करू भेदभाव  

आहे प्राणिमात्रा सर्व जीव समान 

करिता नामजप जागृत होतो सदभाव 

होई  मन  चित्त  पावन 

 लाभे  सुख शांती समाधान 

कालचक्र गती अगम्य 

करू आनंदे विहित कर्म 

अखंड  घडो नामसाधना

पार  करण्या एक एक पायरी 

 परा पश्यंती मध्यमा आणि वैखरी 

राम कृष्ण हरि  पांडुरंग हरि 

  उमलले हे काव्य सुमन दैनंदिन प्रवचन वाचनातून  

                      अर्पितो  श्री ब्रह्मचैतन्य गोंदवलेकर महाराज चरणी. 


नंदकिशोर लेले 




 

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